शीर्षक – आप और हम जीवन के सच
शीर्षक – आप और हम जीवन के सच
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आज हम आप और हम जीवन के सच के साथ हमारी ….कहानी के किरदार आप और हमें और आप और हम में भी जो पाठक कहानी पड़ रहे या रही है। हम सभी इस कहानी के किरदार है और आप और हम जीवन के सच में प्रतिदिन रंगमंच पर अपना अभिनय करते हैं सुबह से लेकर शाम तक हम एक वास्तविक किरदार निभाते हैं जिसमें हमारा रंगमंच हमारी दिनचर्या होती है। और हम अपनी किरदार में अच्छी बुरे हास्य व्यंग सहित कई तरह के सच के साथ साथ हम सभी अपने जीवन को जीते हैं।
एक माँ अपने जवान बेटे के सर पर सेहरा और बहू का ख्वाब सजाती है और उसका बेटा देश के लिए या किसी बड़ी बीमारी कैंसर से और या किसी गम के हादसे से शिकार हो जाता है। आप और हम जीवन के सच हैं। वह मां भी जीवन में एक किरदार निभाती है जो किसी से अपने दिल की सोच और दुख ना कह पाती है बस समाज और सामाजिकता का सच हमारे स्वार्थ और फरेब को बताती है। और किसी का भाई किसी के भाई से और किसी की बहन किसी की बहन से नाता रिश्ता जोड़ती है बस हम समाज के साथ अपने स्वार्थ के रिश्ते निभाते हैं सच और एहसास हम कहां किसी को बताते हैं क्योंकि जीवन में हमारा अहम और वहम बहुत कुछ बनाता और बिगड़ता है।
एक नई दुल्हन शादी के बाद अपने सपने से संजोति है। घर में बहू भी एक बेटी बनकर आती है परंतु हमारी सोच और समझ अपने घर की बेटी से ही तुलना बहू की करवाती है और हमारे घर में अपने बेटे को ही पराया बनवाती है। सोचो हम सब अपने मकसद और अपने मतलब को पहले सोचते हैं बाद में हम जीवन की राह बनाते हैं बेटा और बहू भी ना पराए होते हैं बस सोच समझ कि कहीं कमी घर के लोग ही घर में दरार पढ़वाते हैं।
आप और हम जीवन के सच जीवन के सच में हम बहुत कुछ भूल और सहन कर जाते हैं तभी तो कुछ परिवार और हम सब संग साथ निभा जाते हैं। जिंदगी के रंग मंच पर हम सब जने सामाजिक और सांसारिक आकर्षण के साथ अपने-अपने किरदार निभाते हैं। और आधुनिक जमाने की दौड़ में हम सभी अपनी-अपनी सोच बताते हैं बस हम यह सब भूल जाते हैं की कुदरत और प्रकृति ईश्वर भी कोई शक्ति है जो हम सबको और हमारे कर्म के लेखा जोखा लिखती है। हम सभी अपने जीवन के किरदार निभाते हैं और जीवन में उसे किरदार के साथ ही अपना अपना दम और सच और झूठा बताते हैं सच तो यही है कि हम सभी जीवन में एक समानता के लिए जीते हैं बस आज की धन संपत्ति के लालच और एक दूसरे से ईर्ष्या और धोखा हम केवल इसलिए एक दूसरे देते हैं कि शायद हम उससे ज्यादा अच्छे और आगे निकल सके पर हम सभी कुदरत और भाग्य के निर्णय को भूल जाते हैं कि अगर हमारे हाथ में कुछ होता तो हम सब जीवन अपनी मर्जी से जीते परंतु आप पर हम जीवन जीने के सच में बहुत कुछ भूल जाते हैं और हम इंसान और इंसानियत के साथ मानवता को भी भूल जाते हैं केवल हम उम्र के साथ-साथ अपना जीवन जीते और अगर हम स्वामी विवेकानंद और जो छोटी उम्र में अच्छे साधू संत हुए हैं। आप और हम जीवन के सच में कहानी के साथ-साथ हम सभी पात्र कल्पना और सोच के साथ लिखे हुए कहानी में अपना स्थान गरिमा और शब्दों की महिमा के साथ निभाते हैं।
आप और हम जीवन के सच आज हम सभी एक-दूसरे के सहयोग नहीं करते हैं केवल और केवल अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाने में लगे रहते हैं। आप और हम जीवन के सच में हम सभी अपने अपने जीवन को समझते हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ*प्र