शीर्षक : आँसू
मन के हों भाव या हो प्रेम या दुराव
नहीं कभी हैं ए कुछ भी छुपाते
ए आँसू मेरे मन के हैं भाव कह जाते -2
होता हूँ खुश कभी हद से जो ज्यादा
निकल आने का ए भी करते इरादा
लेकिन
हम इनमें हैं पहरे लगाते
ए आँसू मेरे मन के हैं भाव कह जाते -2
मुझे होता जो है दुःख इन्हें मिले नहीं सुख
हैं कहने को भाव छटपटाते
ए आँसू मेरे मन के हैं भाव कह जाते
कोई बोले जो ताना नहीं खाऊं जो खाना मैं-2
बात सच्ची ए सुनाते नहीं करते बहाना
रखें अपनों का मान करें सभी का सम्मान
मेरा सबको हैं ध्यान दिलाते
ए आँसू मेरे मन के हैं भाव कह जाते -2
✍?पंडित शैलेंद्र शुक्ला
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