शीर्षक:लहरों सा शोर
शीर्षक:लहरों सा शोर
अंदर एक अनकहा सा शोर हैं मेरे
ठीक वैसे ही जैसे समुद्र की लहरों का
टीस की लहरें भीतर ही उठती हैं
लगता है कभी की बांध तोड़ आएंगी बाहर
उन्ही मचलती लहरों के शोर मेरे भीतर
साथ बहुत है मेरे अपने पर फिर भी
अकेलेपन ने ठिकाना बनाया हुआ है
कहने को बेशुमार प्यार है सबको मुझसे
पर मेरे भीतर एक टीस सी हैं और
उन्ही मचलती लहरों के शोर मेरे भीतर
मेरे इस टीस की व्याख्या हो नही सकती
शब्दो मे चाहते हुए उसको बयां नही कर पाती
मानो एक मजबूत सी गांठ सी बंधी हो मेरे संग
बंध नही सकता क्योंकि टीस पीड़ा असहनीय हैं
उन्ही मचलती लहरों के शोर मेरे भीतर
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद