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28 Jun 2022 · 1 min read

शीर्षक:मैं बहता स्वच्छ पानी

मैं निर्मल जल बहता चुपचाप सा
पर मेरी व्यथा समझ न सका कोई
कितना कुछ कहना चाहता हूँ
अविरल गति से बहता रहता हूँ
बात कौंधती हैं मुझे कि
बिन कहे क्यो समझा मुझे.?
क्यो मुझको दूषित किया गया
मुझसे ही जीवन चक्र पर फिर भी मेरी
बेकद्री..आखिर क्यों ..???
पीड़ा का सैलाब घुमड़ रहा है मेरे सीने में
आज अवकाश पर भी आते हो मेरे पहलू में
प्लास्टिक से सजा जाते हों मेरे स्वरूप को
गंदे नालो को छोड़ देते हो मेरे पहलू में
तुम्हे ही नाव में चलते हुए मिलेंगी प्लास्टिक
क्यो बहा देते हो मुझमे ही सारा कचरा
जन्म से मृत्यु तक साथ रहता है पवित्र जल मेरा
फिर क्यो चेत नही रहा मानव
क्यो खामोशी से सब देख रहे है मुझको
आओ मिल आवाज उठाई जाए
क्यो न मेरे स्वरूप को पवित्र बनाया जाये
मुझे तो रहता है इंतजार आपका
लुत्फ ली मेरी लहरों के ओर भावी पीढ़ी को
बतलाओ मेरी पवित्रता का
न गंदा करो मेरी पवित्रता को
मैं गंगा रूप में रहूं या सागर रूप में पर
मैं हूँ निर्मल जल जीवन दायी जल
लहलहाती फसलों का जीवन भी मैं ही हूँ
आपसे गुहार लगा रहा हूँ मैं आज
बचा लो मेरी पवित्रता को
मत गंदगी करो मुझमे

डॉ मंजू सैनी
गाजियाबाद

Language: Hindi
142 Views
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