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27 Jun 2022 · 1 min read

शीर्षक:प्यारा बचपन

पोस्ट:१
शीर्षक:प्यारा बचपन

देखो बचपन कितना अच्छा न्यारा प्यारा।
कितना खुश यहाँ होता बच्चा बच्चा सारा।।

बिल्कुल निर्भीक न कोई जिम्मेदारी होती।
न कोई सामाजिक बंधन न ही चिंता होती।।

न कोई विरोध नही कोई माया-मोह होती।
हँसता-खेलता बचपन मधुर मुस्कान होती।।

निर्मल बालमन बिल्कुल कोरा कागज होता।
छल-कपट का उसके पास स्थान नही होता।।

न जाति का भान न ही मजहब का ज्ञान।
न ऊंच-नीच मालूम नअमीरी-गरीबी का भान।।

बच्चा तो केवल वात्सल्य का भूखा होता।
कौन है अपना,कौन पराया ये ज्ञान न होता।।

परिवार-समाज सबका चहेता बच्चा होता।
सबके यहाँ आता-जाता सबका स्नेह पाता।।
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद

Language: Hindi
155 Views
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