शीर्षक:पापा के मार्गदर्शक बोल
शीर्षक:पापा के मार्गदर्शक बोल
आस रख पापा कहते थे..
समझाते थे आस से सब हासिल होता हैं
निराशा चिंतन को बाधित करती है
खुशियां स्वतः ही रुक जाती हैं
तू उठ और कर ईमानदारी से कार्य और
आस रख पापा कहते थे..
सफर अंजान रास्तों पर ही शुरू करना है
अपना रास्ता स्वयं ही तय भी करना है
भटकना भी मिले तो हिम्मत रखना
भटकन भी सही मार्गदर्शन कराता हैं और
आस रख पापा कहते थे..
आस रख कुछ चाहतों की अपने साथ हरदम
प्यास रख ढूंढ पानी रूपी खुशियां
प्यास में भटकना भी जीवन संगीत हैं
उस संगीत में गा उठ उन्नति के लिए
आस रख पापा कहते थे..
मत रह चुनौतियों से बेख़बर
स्वीकार कर हर बाधा को डट कर
कभी पथ भूलना सत्य का
निडरता से मंज़िल की बढ़ चल
आस रख पापा कहते थे..
बाधा डालेंगी पैरों में बेड़ियां पर
रुकना नही डगर बीच तू
तुझे तो मंजिल तक जाना है
स्वयं ही पहचान बनानी हैं
आस रख पापा कहते थे..
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद