शीर्षक:नीड़ चिरैया का
🐍नीड़ चिरैया का🐍
एक चिड़िया थी छोटी सी प्यारी सी
जरूरत एक नीड की उसको आन पड़ी
वह बहुत ऊंचा उड़ती लेने नीड़ सामान
इधर उधर देखती करती घास संग्रहण
चहकती चहचहाती रहती फुदक कर
कभी इस टहनी पर कभी उस टहनी
मेरे घर की बालकनी में..!
फुदकती रहती फर्श पर मनमानी सी करती
पर उस चिड़िया की एक आदत थी
घूमफिर आती पर रहती अपने नीड़ पर
बच्चे की खातिर करती नीड़ निर्माण
माँ की ममता का होता भव्य निर्माण
देख मैं भी अचंभित उसके नह निर्माण
मेरे घर की बालकनी में..!
क्या कभी हो सकता है बिन सीमेंट निर्माण
अकसर दिखती चुनते फूंस घास
बीते दिनों के मौसम से थी न अनजान
थोड़े दिन बाद किया घर का निर्माण
भरी पोटली न थी पर नेह था पास
उड़ती फिरती पर लौट आती नीड़ के पास
मेरे घर की बालकनी में..!
मेरे घर मे कर दी रौनक कर नीड़ निर्माण
चहचहाट हो गई मानो फैली हो मुस्कान
कुछ समय और बीता और अंडे आये उसके
बच्चों की ची ची से हुआ पावन मेरा आँगन
और फिर मैंने किया खाने पीने का इंतज़ाम
माँ तो माँ होती है दिया यही प्रमाण
माँ की ममता तो होती सदैव महान
जिये माँ सभी की चिरकाल
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद