शीर्षक:तुम्हे पता है ना
तुम्हें पता है हैं ना
कौन हो तुम मेरे लिए
मेरा जीवन प्रवाह हो तुम
बहना चाहती हूँ तुम संग प्रीत के बहाव में
मेरी नाव की पतवार अब हाथों सौंप रही हूँ तुम्हे
परछाई बन रहोगे जीवन भर साथ मेरे
आज हम दो अजनबी एकाकार कर चुके हैं
मानो जिस्म दो व जान एक हो चुके है
तुम्हें पता है हैं ना
कौन हो तुम मेरे लिए
मेरा जीवन प्रवाह हो तुम
घरपरिवार छोड़ आई हूँ तुम्हारे लिए
अब रक्षक तुम ही मेरे,पनाह मैं अब लिए
हर गम व खुशी संग संग अब हमारे लिए
मैं अब सिर्फ तुम्हारे लिए व तुम मेरे लिए
जीवन रूपी चप्पू अब साथ हम दोनों के लिए
तुम्हें पता है हैं ना
कौन हो तुम मेरे लिए
मेरा जीवन प्रवाह हो तुम
हर मुस्कान का राज अब तुम से ही
मेरे जीवन की हर खुशी भी अब तुमसे ही
मेरे शब्दों की सुंदर रचना तुम्हारे ज़िक्र से ही
कलम की ताकत अब तुमको लिखने से ही
मेरे कलम की स्याही अब चलती तुम पर ही
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद