शीर्षक:छठा नवरात्र
छठा नवरात्र
🙏🏻मां दुर्गा का छठा रूप ‘मां कात्यायनी’🙏🏻
नवरात्र के छठे दिन दुर्गाजी के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा और अर्चना की जाती है। मेरा ऐसा विश्वास है कि इनकी उपासना करने वाले को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चार पुरुषार्थ चतुष्टय की प्राप्ति हो जाती है। क्योंकि इन्होंने कात्य गोत्र के महर्षि कात्यायन के यहां पुत्री रूप में जन्म लिया, इसीलिये इनका नाम कात्यायनी पड़ा।पिता के गोत्र पर ही इनका नाम रखा गया। इनका रंग स्वर्ण की भांति चमकीला है और इनकी चार भुजाएं हैं। दाईं ओर के ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में है और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में खड्ग अर्थात् तलवार है और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है। इनका वाहन भी सिंह है। माता अपनी सवारी पर ही विराजमान है।इनकी पूजा, अर्चना और स्तवन निम्न मंत्र से किया जाता है।
मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मां कात्यायनी की पूजा करें। आज चैत्र नवरात्रि का छठा दिन है, इस दिन मां दुर्गा के ज्वलंत स्वरूप मां कात्यायनी की विधि विधान से आराधना की जाती है। शेर पर सवार चार भुजाओं वाली मां कात्यायनी शक्ति, सफलता और प्रसिद्धि देने वाली हैं। शत्रुओं को पराजित करने के लिए भी मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। आज आपको मां कात्यायनी के नीचे दिए गए बीज मंत्र, स्तुति, प्रार्थना मंत्रों का जाप करना चाहिए। फिर पूजा के अंत में मां कात्यायनी की आरती करनी चाहिए। आपकी आराधना से प्रसन्न होकर मां कात्यायनी आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगी। माँ का स्मरण करते रहने से उन्नति होती हैं माँ का आशीष बना रहता हैं।माँ हम सबका कल्याण करे ये ही माँ से चाहती हूँ।जय माँ कात्यायनी
“या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता”।
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद