शीर्षक:ऐ बादल
“इश्क था उसका बादलों सा
कुछ देर बरस कर कहीं खो गया
आया था नेह की घटाओ सा
फिर हवा के झोंको सा चला गया
वो जो पीछे था किरणों का प्रकाश सा
आया और उसकी गर्मी संग चला गया
आया वो बन जिंदगी में मेरी उमस सा
प्रीत बरसा बादलो सी फिर से चला गया
इश्क था उसका बादलों सा
बरसात के बादलो सा पल में बदल गया
जब चाहा उसका मन तो टूट कर बरसा
मर्जी से बरसा और रूप बदल चला गया