शीत-लहर(कविता)
शीत-लहर(कविता)
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माह दिसम्बर और जनवरी सुनो फरवरी आधी
शीत लहर में दिवस साठ सब डूबे हैं बर्बादी
मौसम के मिजाज को समझो मौसम आज रुलाता
इस मौसम से डरने में ही नजर फायदा आता
बारह बजे अभी तक कोहरा, सूर्यदेव अब आओ
दर्शन करना सभी चाहते, चेहरा तो दिखलाओ
पाँच बजे अखबार बाँटने गली-गली में जाते
इनको भी लगता है जाड़ा मगर नहीं घबराते
सुबह-सुबह बाजार खुल गए, भागा दौड़ा जाड़ा
बोला व्यापारी को रत्ती-भर डर नहीं हमारा
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा ,रामपुर उत्तर प्रदेश मोबाइल 99976 15451