शीत ऋतु
कुण्डलिया
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बढ़ा जा रहा शीत का, देखो खूब प्रभाव।
चिन्ता में हैं जन सभी, कैसे करें बचाव।
कैसे करें बचाव, दुबक कर बैठे घर में।
कठिन हो रहा नित्य, निकल आना बाहर में।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, कोहरा घना छा रहा।
सर्द ऋतु का दंश, निरंतर बढ़ा जा रहा।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य