शिक़वा ए मोहब्बत
शिक़वा ए मोहब्बत
वफ़ा शआर अगर हो, वफ़ा की बात करो ॥
मुझे यक़ीं न हो, कुछ ऐसे हादसात करो ॥
महज़ तुम्हारे तसव्वुर मैं ज़िन्दगी गुज़री ॥
मेरे ख्याल में तुम भी तो एक रात करो ॥
जो क़त्ल होने को बैठें हैं हम निगाहों से ॥
नज़र उठाओ ज़रा, पूरी वारदात करो ॥
क़ुबूल इश्क़ को कर के मेरे ज़रा दिलबर ॥
दिनों को ईद करो, रात शब बरात करो ॥
असीर* क्यों हैं चमन में तुम्हारे सब बुलबुल ॥
गुल और बुलबुलों को आज एक ज़ात करो ॥
हमारे इश्क़ की बाज़ी है “सरफ़राज़” के हाथ ॥
तुम्हारा हक़ है इसे, शह करो या मात करो ॥
असीर – क़ैद होना ।
सयैद सरफ़राज़ अली “सरफ़राज़”
मोबाइल नम्बर : 7400826989