Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Aug 2024 · 3 min read

शिष्य

शिष्य

देवदत दो दिन की यात्रा के पश्चात गुरू अग्निवेश के गुरूकुल पहुँचा, गुरू अपने गणित तथाव्याकरण के लिए विख्यात थे, इसलिए शिष्यों का दूर दूर से ज्ञान प्राप्ति के लिए आना कोईविशेष बात नहीं थी

जब देवदत पहुँचा तो गुरू गणित की समस्या पर अपने सर्वश्रेष्ठ शिष्य अंगद से विचार कर रहे थे । दोपहर का समय था, प्रांगण में धूप फैली थी, सबतरफ़ शांति थी, परन्तु यह गुरू शिष्य, अपने ही विचारों में खोये पेड़ के नीचे बैठे , समाधान तक पहुँचने का प्रयत्न कर रहे थे । इतने में उन्होंने देखा एकयुवक थोड़ी दूरी पर खड़ा उनकी बातचीत समाप्त होने की प्रतीक्षा कर रहा है ।

गुरू ने कहा, “ आओ , कौन हो तुम? “
मैं देवदत हूँ , गणित की उच्च शिक्षा के लिए आया हूँ । “
“ हूं ! “ गुरू ने कुछ पल के पश्चात फिर कहा, “ अभी हम जिस विषय पर चर्चा कर रहे थे , उसके विषय में तुम्हारा क्या विचार है ? “
देवदत ने सारे विषय को क्रम से रख दिया, और इससे आगे कैसे बड़ा जाय, इसका सुझाव भी दे दिया ।

गुरू समझ गए छात्र मेधावी है ।
“ तुम कुछ दिन यहाँ रहो , बीस दिन पश्चात बसंत पंचमी है, तब मैं निर्णय लूँगा कि तुम मेरी शिक्षा के योग्य हो अथवा नहीं ।

देवदत के अहम को चोट पहुँची, वह जानता था कि वह भारतवर्ष के गणित में कुछ मेधावी छात्रों में से एक है, फिर भी गुरू ने स्वयं को ऐसा शिष्य पा धन्यसमझने की अपेक्षा साधारण छात्रों की श्रेणी में डाल दिया था ।

वह धैर्य पूर्वक वहाँ बसंत पंचमी की प्रतीक्षा करने लगा। हर चर्चा में बढ़चढ़कर कर भाग लेता, गुरू के पाँव दबाता और परिश्रम पूर्वक गणित का अध्ययनकरता ।

बसंत पंचमी के दिन छात्रों ने गुरूकुल को फूलों से सजा दिया। सभी पीले परिधान में पृथ्वी से एकलय हो रहे थे । वीणा तथा शहनाई का स्वर सब औरगुंजायमान था। ऐसे में देवदत अपने भविष्य के प्रति निश्चिंत था , और गुरू से आज गंडा बंधन की प्रतीक्षा कर रहा था ।

पूजा के पश्चात गंडा बंधन की विधि आरंभ हुई, गुरू ने एक एक कर के सभी छात्रों को मंच पर बुलाया और अपना छात्र स्वीकार किया , परन्तु देवदत कोउन्होंने अंत तक नहीं बुलाया । देवदत विचलित हो उठा, उसने खड़े होकर कहा, “ गुरू देव , क्या मेरा गणित ज्ञान इन सब छात्रों से कम है , जो आजआपने मुझे अपना शिष्य स्वीकार करने से मना कर दिया है ? “

गुरू मुस्करा दिये , वे उठ खड़े हुए और देवदत से कहा, चलो मेरे कक्ष में ।
कक्ष में एकांत पा गुरू ने कहा, तुममें गणित की प्रतिभा है , यह तो मैं पहले ही दिन जान गया था, इन बीस दिनों में मैं यह जानना चाहता था कि क्या उसीस्तर की तुम में करूणा भी है या नहीं । बिना करूणा के ज्ञान एक हथियार बन जाता है, जो सभ्यता का विनाश कर सकता है, और मैं ऐसा नहीं होने देसकता । करूणा ही मनुष्य को अंतर्मुखी बनाती है और रचनात्मकता के वो मोती देती है, जो तर्क और अनुभव से नहीं पाए जा सकते ।

देवदत ने आँखें नीचे करके पूछा, “ आपको कब लगा मुझमें करूणा का अभाव है ?”

“ कई बार लगा, परन्तु पहली बार तब लगा , “ जब गाय के बछड़े को हटाकर उसके भाग का सारा दूध तुम स्वयं पी गए । “

“ मैं लज्जित हूँ गुरूवर , क्या मुझे एक अवसर और मिलेगा?”
“ निश्चय ही , परन्तु उससे पूर्व तुम्हें एक वर्ष तक अपनी करूणा बढ़ाने का अभ्यास करना होगा । नगर में जाकर दीन दुखियों की सहायता करनी होगी । “

“ अवश्य गूरूदेव ।” वह प्रणाम कर चला गया तो गुरू ने मन ही मन कहा, इतने मेधावी छात्र को पा मैं धन्य हो जाऊँगा ।

———-

Sent from my iPhone

45 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
......... ढेरा.......
......... ढेरा.......
Naushaba Suriya
अनोखा बंधन...... एक सोच
अनोखा बंधन...... एक सोच
Neeraj Agarwal
4707.*पूर्णिका*
4707.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"प्रेम"
शेखर सिंह
क्या चरित्र क्या चेहरा देखें क्या बतलाएं चाल?
क्या चरित्र क्या चेहरा देखें क्या बतलाएं चाल?
*प्रणय प्रभात*
শত্রু
শত্রু
Otteri Selvakumar
"आभाष"
Dr. Kishan tandon kranti
सागर की लहरों
सागर की लहरों
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
रिश्ता कमज़ोर
रिश्ता कमज़ोर
Dr fauzia Naseem shad
कहाॅं तुम पौन हो।
कहाॅं तुम पौन हो।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
रामजी कर देना उपकार
रामजी कर देना उपकार
Seema gupta,Alwar
इसी साहस की बात मैं हमेशा करता हूं।।
इसी साहस की बात मैं हमेशा करता हूं।।
पूर्वार्थ
वेला
वेला
Sangeeta Beniwal
It All Starts With A SMILE
It All Starts With A SMILE
Natasha Stephen
*
*"मजदूर"*
Shashi kala vyas
मेरे हिस्से में जितनी वफ़ा थी, मैंने लूटा दिया,
मेरे हिस्से में जितनी वफ़ा थी, मैंने लूटा दिया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जनता को तोडती नही है
जनता को तोडती नही है
Dr. Mulla Adam Ali
युग युवा
युग युवा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
प्रश्न अगर हैं तीक्ष्ण तो ,
प्रश्न अगर हैं तीक्ष्ण तो ,
sushil sarna
*बिना तुम्हारे घर के भीतर, अब केवल सन्नाटा है ((गीत)*
*बिना तुम्हारे घर के भीतर, अब केवल सन्नाटा है ((गीत)*
Ravi Prakash
Thunderbolt
Thunderbolt
Pooja Singh
कभी-कभी आते जीवन में...
कभी-कभी आते जीवन में...
डॉ.सीमा अग्रवाल
खींच तान के बात को लम्बा करना है ।
खींच तान के बात को लम्बा करना है ।
Moin Ahmed Aazad
महाप्रयाण
महाप्रयाण
Shyam Sundar Subramanian
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सैनिक की पत्नी की मल्हार
सैनिक की पत्नी की मल्हार
Dr.Pratibha Prakash
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
MEENU SHARMA
सपनों को दिल में लिए,
सपनों को दिल में लिए,
Yogendra Chaturwedi
यह रंगीन मतलबी दुनियां
यह रंगीन मतलबी दुनियां
कार्तिक नितिन शर्मा
फिर तुम्हारी आरिज़ों पे जुल्फ़ याद आई,
फिर तुम्हारी आरिज़ों पे जुल्फ़ याद आई,
Shreedhar
Loading...