शिष्टाचारी विद्यार्थी
मेरा था प्यारा दोस्त मांगे राम
करता था वो नित अच्छे काम
प्रातः उठते वो दंतमंजन करता
माता पिता की चरण वंदन करता
नहा धौकर वह तैयार हो जाता
साफ सुथरे अच्छे वस्त्र पहनता
नाश्ता पानी कर बस्ता है उठाता
समय पूर्व स्कूल में पहुंच जाता
बड़ों छोटो को आदर से बुलाता
शिक्षकों का सदा सत्कार करता
गृह कार्य भी सदैव पूरा करता
विद्यालय में भी अनुशासित रहता
प्रत्येक विधा में सदा प्रथम रहता
पढाई में भी वह अव्वल ही रहता
औरों हेतु प्रेरता प्रेरणा बन जाता
शिक्षक छात्रों का आँखों का तारा
सचमुच वह लगता था बहुत प्यारा
खेल अच्छा खेलकर नाम कमाता
स्कूल को सदैव मैडल दिलवाता
अनुशासित ओर शिष्टाचारी रहता
सद्गुण सद्भावी व्यवहारी रहता
कमजरों की भी सहायता करता
जो उनको ना आता वो समझाता
प्रेमवशीभूत हो प्रेमपूर्वक रहता
खाना पीना भी मिल बाँट खाता
घर आ कर सबको नमन करता
खाना खा कर गृहकार्य में जुटता
माँ बाप के कार्यों में हाथ बंटाता
भाई बहनों संग प्रेमपूर्वक रहता
संग उनके खेलता और खिलाता
आस पड़ोस संग सहयोगी रहता
संगी साथियों संग मजे में रहता
रात्रि भोज कर फिर पढाई करता
हल्का फुल्का टीवी देख सो जाता
घर मे भी था वह आँखों का तारा
माता पिता सभी का प्यारा दुलारा
ऐसा ही बच्चा हो सभी का प्यारा
सभी बच्चों में से है अलग न्यारा
सुखविंद्र सिंह मनसीरत