शिव
आदि अनादि अनंत अखंडा,
सौम्य रूप कभी लगे प्रचंडा ।
अद्भुत औघड़ अविनाशी शिव,
महाकाल हैं कैलाशी शिव ।।
महादेव मुक्तेश्वर योगी ,
भस्म युक्त नागेश्वर योगी।
विषमय कंठ सर्प है साजे,
शीश चंद्र लट गंग विराजे ।
शम्भू शंकर शिव सर्वेश्वर,
पशुपति नाथ प्रणव परमेश्वर।
शांत श्रेष्ठ पुष्कर प्रियदर्शी,
पालनहार विश्व समदर्शी।।
नीलकंठ नटराज त्रिलोचन,
आशुतोष भैरव वृषवाहन ।
दीन दयाल दिगंबर ध्यानी,
गिरिजापति सोमेश्वर ज्ञानी।।
वन्दना नामदेव
वन्दनीयम्