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10 Jun 2023 · 1 min read

शिव

भाल चाँद धारते,
शेष नाग साजते।
देव शिव महेश ये,
शीश काल सारते।।

प्रेत साथ में लिये,
आद्य ब्याहने चले।
वामदेव भाविनी,
प्रीति रीति दे चले।

शंभु चिति बसे हिया
नैन नेह भीजते,
उर अधीन शंकरा,
बैन स्नेह रीझते।

रोम रोम यति सती,
श्वास शिव रचे बसे।
बलप्रदा वियोग में,
काल कोप को ग्रसे।

नाथ अंग-रंग शिव,
हाथ साथ संग शिव।
शक्ति प्रीति देखिए
भाव-भक्ति अंग शिव।।
नीलम शर्मा ✍️

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