शिव स्तुति
शिव स्तुति
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है ठान लो मन में यदि तो,
हलाहल भी अमृत बन जाए।
यदि मान लो शिव को गुरु ,
मन का अंधेरा मिट ही जाए।
महिमा अलौकिक शिव की जटा ,
निकले जहाँ से गंगधार।
अनन्त अनघ शिव जिसने भजा ,
सकल सुकृत अमृत फल पाए।
है ठान लो मन में यदि तो…
विषधर लपेटे शशिशेखरा ,
भालनेत्र शिव है निर्विकार ।
कण-कण विराजत दिगंबरा ,
बस नाम ले, तू तो शिवाए ।
है ठान लो मन में यदि तो…
डमरू से निकले स्वर अंतरा ,
नटराज नृत्य करो अंगीकार ।
सदा वंदन करो उमेश आदिगुरु ,
नंदीश्वर प्रभु सदा होंगे सहाय।
है ठान लो मन में यदि तो…
देखो सत्य है, यदि इस धरा ,
वो सत्यस्वरुप शिव ओंकार ।
तुम शिव का करो पूजन शुरू ,
सत्य सुन्दरम स्वान्तः सुखाय।
है ठान लो मन में यदि तो…
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि –२५ /१०/२०२२
कार्तिक,कृष्ण पक्ष ,अमावस्या, मंगलवार
विक्रम संवत २०७९
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