शिव शक्ति
नाग देवता हार गले के
बिच्छू कुंडल कानों के
त्रिनेत्राय त्रिशूल धारी
वाशी है शमशानों के
शुन्य शता लीन खुद में
ब्रह्मांड तेरे कमंडल में
शिव शक्ति का स्वर है गुंजें
देखो इस दिग्मंडल में
पशुपति कैलाश पति
मां शक्ति की प्रीत हैं
भूत प्रेत पिसाच पितर
देवों के भी वो मीय है
तंत्र मंत्र यंत्र जंत्र
सबका तुम को ज्ञान है
तपो विघा योग साधना
तेरा ही विज्ञान है
चारों युग तीनों लोक
काल तीनों तेरे आधीन
नव ग्रह और पंच तत्व
प्रकृति भी है तूझमे लीन
संगीत हो तुम स्वर हो तो
तुम ही तो नटराज हो
तुम निर्गुण हो तुम सद्गुण हो
शुन्य सा तुम राज़ हो