शिव शंकर जी खेले होली
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शिव शंकर जी खेले होली
मैया पार्वती जी के संग।
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तीन नयन मस्तक पर
चमक रहें हैं अर्ध चंद्र।
लट बिखरी खुली जटा
सिर से छलक रहें गंग।
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शिव शंकर जी खेले होली
मैया पार्वती जी के संग।
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गले में डोले मुंड माला
फूफकार रहे हैं भुजंग।
तन पर भस्म रमाये शिव
वीभत्स भेष बड़ा अभंग।
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शिव शंकर जी खेले होली
मैया पार्वती जी के संग।
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मिट्टी, राख,रेत लपेटे
अबीर,गुलाल लगे हैं अंग।
छेड़े सताये रंग लगाये
मैया पार्वती को करे तंग
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शिव शंकर जी खेले होली
मैया पार्वती जी के संग।
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पार्वती की गाल गुलाबी
कोरी चुनरिया भई सुरंग।
कार्तिक गणेश गोद लिये
मन में प्रीत भरी उमंग।
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शिव शंकर जी खेले होली
मैया पार्वती जी के संग।
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भूत पिशाच शोर मचाये
बसहा नंदी करे हुड़दंग।
बौरये हैं खा के धतुरा
शिव जी झूमे पीके भंग।
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शिव शंकर जी खेले होली
मैया पार्वती जी के संग।
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डमडम डमरू बजाये शिव
देवी-देवता बजाये मृदंग।
चौसठ योगिनी नाच रही
शिव शंकर जी हुये मलंग।
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शिव शंकर जी खेले होली
मैया पार्वती जी के संग
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दशों दिशाएं झूम उठे
प्रकृति हुआ रंग बिरंग।
महक उठा मन फागुनी
बहक उठा है वसंत।
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शिव शंकर जी खेले होली
मैया पार्वती जी के संग।
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जड़ चेतन सुखमय हुआ
तृप्त हुआ आदि अनंत।
ऋषि मुनी हुए मतवाला
सम्पूर्ण देवलोक हैं दंग।
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शिव शंकर जी खेले होली
मैया पार्वती जी के संग।
????—लक्ष्मी सिंह ??