शिव जी
शिव जी
प्रणम्य शम्भु पूजनीय दिव्य सोमवार को।
लखो खड़े सदैव सावनी विचार धार को।
परम पिता महेश का गुणानुवाद कीजिए।
सहज महा विभूति का सदैव नाम लीजिए।
रहे सदैव चिंतना महान वंदनीय की।
प्रकाश ज्ञानपुंज स्तुत्य शम्भु वृत्ति धीय की।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।