शिव अराधना
कुण्डलिया छंद
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मनोकामना साथ ले, कर फूलों की हार ।
आई दृढ़ विश्वास से, शिवशंकर के द्वार।।
शिवशंकर के द्वार, करो ‘हर’ इच्छा पूरी ।
एक आपसे आस, नहीं यह रहे अधूरी।।
कहे ‘नवल’ कविराय, अवश हो सफल साधना।
औघड़ दानी करें, पूर्ण सब मनोकामना ।।
✍️ नवीन जोशी ‘नवल’
(स्वरचित एवं मौलिक)