Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 May 2024 · 1 min read

*शिवोहम्* “” ( *ॐ नमः शिवायः* )

“” शिवोहम् “”
( ॐ नमः शिवायः )
********************

( 1 )” शि “, शिवोहम् शिवोहम् हूँ मैं शिवोहम्
मुझमें बसता शिव स्वरूपम् !
अभिभूत हूँ मैं चेतनता से…..,
शिवमय बना है सारा जीवन !!

( 2 )” वो “, वो सदाशिव, है मृत्युंजय
बसता हमारी रग-रग में है !
है विश्वेश्वर, वही गिरिश्वर….,
जीवन की हर श्वासों में वो है !!

( 3 )” “, हर हर महादेव,भगनेत्रभिद् हैं
हैं वही दक्षाध्वरहर हर !
पाशविमोचन परमेश्वर हैं….,
बसते जड़ चेतन, हर नर-नर !!

( 4 )” “, महाकाल ललाटाक्ष गंगाधर हैं
हैं शिव भोले कृपानिधि !
विष्णुप्रिय भक्तवत्सल शिव हैं….,
त्रिलोक स्वामी कैलाशवासी !!

( 5 )” शिवोहम् “, शिवोहम् चिदानंद रूपम्
मनो बुद्धि अहंकार चित्तानि नाहम् !
न मे द्वेषरागौ न मे लोभ मोहौ….,
मदों नैव मे नैव मात्सर्यभावम् !!

¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥

सुनीलानंद
शनिवार,
18 मई, 2024
जयपुर,
राजस्थान |

Language: Hindi
124 Views
Books from सुनीलानंद महंत
View all

You may also like these posts

चूहे
चूहे
Vindhya Prakash Mishra
मेरा सपना
मेरा सपना
Anil Kumar Mishra
*धार्मिक परीक्षा कोर्स*
*धार्मिक परीक्षा कोर्स*
Mukesh Kumar Rishi Verma
सैनिक
सैनिक
Dr.Pratibha Prakash
बेटी का घर बसने देती ही नहीं मां,
बेटी का घर बसने देती ही नहीं मां,
Ajit Kumar "Karn"
लंका दहन
लंका दहन
Paras Nath Jha
*धन्य-धन्य वह जो इस जग में, हुआ बड़ा धनवान है (मुक्तक)*
*धन्य-धन्य वह जो इस जग में, हुआ बड़ा धनवान है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
" हँसिए "
Dr. Kishan tandon kranti
नासूर
नासूर
Neerja Sharma
7. *मातृ-दिवस * स्व. माँ को समर्पित
7. *मातृ-दिवस * स्व. माँ को समर्पित
Dr .Shweta sood 'Madhu'
ओ परबत  के मूल निवासी
ओ परबत के मूल निवासी
AJAY AMITABH SUMAN
कार्तिक पूर्णिमा  की शाम भगवान शिव की पावन नगरी काशी  की दिव
कार्तिक पूर्णिमा की शाम भगवान शिव की पावन नगरी काशी की दिव
Shashi kala vyas
अरब खरब धन जोड़िये
अरब खरब धन जोड़िये
शेखर सिंह
नशा रहता है इस दर्द का।
नशा रहता है इस दर्द का।
Manisha Manjari
अड़चन
अड़चन
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
..
..
*प्रणय*
हां,अब समझ आया
हां,अब समझ आया
Seema gupta,Alwar
मेरी जिंदगी सजा दे
मेरी जिंदगी सजा दे
Basant Bhagawan Roy
मेरे कफन को रहने दे बेदाग मेरी जिंदगी
मेरे कफन को रहने दे बेदाग मेरी जिंदगी
VINOD CHAUHAN
कर्म प्रकाशित करे ज्ञान को,
कर्म प्रकाशित करे ज्ञान को,
Sanjay ' शून्य'
इंसान स्वार्थी इसलिए है क्योंकि वह बिना स्वार्थ के किसी भी क
इंसान स्वार्थी इसलिए है क्योंकि वह बिना स्वार्थ के किसी भी क
Rj Anand Prajapati
हास्यगीत - करियक्की
हास्यगीत - करियक्की
सिद्धार्थ गोरखपुरी
चर्चाएं हैं तुम्हारे हुस्न के बाजार में,
चर्चाएं हैं तुम्हारे हुस्न के बाजार में,
Aditya Prakash
रणचंडी बन जाओ तुम
रणचंडी बन जाओ तुम
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
मेरे भगवान
मेरे भगवान
MUSKAAN YADAV
मरा नहीं हूं इसीलिए अभी भी जिंदा हूं ,
मरा नहीं हूं इसीलिए अभी भी जिंदा हूं ,
Manju sagar
अब छोड़ दिया है हमने तो
अब छोड़ दिया है हमने तो
gurudeenverma198
నమో నమో నారసింహ
నమో నమో నారసింహ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
जंगल ही ना रहे तो फिर सोचो हम क्या हो जाएंगे
जंगल ही ना रहे तो फिर सोचो हम क्या हो जाएंगे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
*हर पल मौत का डर सताने लगा है*
*हर पल मौत का डर सताने लगा है*
Harminder Kaur
Loading...