शिवशक्ति फिर आ जाओ… हर युग की पुकार हो
तीनों लोकों के कर्ता
जीवन का आधार हो
शिवशक्ति फिर आ जाओ
हर युग की पुकार हो
शिव से सम्भव जीव
है शक्ति से प्राण वायु
कण कण में तुम ही हो बसे
सृष्टि के रचनाकार हो
शिवशक्ति फिर……..
जटा में गंगा को समाये
माथे पर चंदा को सजाये
भस्माभिषेक करो शम्भू
रौद्र रूप में भी स्वीकार हो
शिवशक्ति फिर……..
हलाहल को पियो जटाधर
प्रलयंकर हो, तुम हो शंकर
कलयुग के इन भष्मासुरों का
करने वाले संहार हो
शिवशक्ति फिर……..
तुम प्रथम हो, तुम्ही अंत हो
धर्म-कर्म हो, तुम अनन्त हो
त्रिलोकेश, मृत्युंजय, रूद्र तुम
मोक्ष का गंगा द्वार हो
शिवशक्ति फिर……..
लोधी डॉ. आशा ‘अदिति’
भोपाल