शिवरात्रि? ? देवों के देव महादेव ?
शिवरात्रि?
? देवों के देव महादेव ?
शिव की महिमा अनन्त है। शिव अनादि है ,शिव वो महान दिव्य शक्ति है ,जिसके हम सब अंश है । भोलेनाथ ,शिव ही हैं जिन्होंने संसार को जहरीले विष से होने वाले विनाश से बचाने के लिये विष को स्वयं के कंठ में धारण कर लिया था ।संसार के समस्त जहरीले जीव ,पदार्थ ,परमात्मा शिव ने स्वयं में समाहित किये, संसार कल्याणार्थ ।
परमात्मा को हम मनुष्यों से कुछ नहीं चाहिए। वो तो स्वयं दाता है। उसी से लेकर उसे देना ……
वो दिव्य प्रकाश जो कई करोड़ सूर्यों के प्रकाश से भी कई अधिक गुना प्रकाश से परिपूर्ण है ,वो दिव्य अलौकिक शक्ति है “शिव महादेव”
ब्रह्मा, विष्णु, महेश , ब्रह्मा जी से संसार की उत्पत्ति हुई ,भगवान विष्णु उस संसार की पालना करते हैं । और हमारे समाज में ये धारणा है कि जब-जब धरती पर पाप कर्म अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाते हैं ,तब-तब भगवान शंकर अपना तीसरा नेत्र खोलते हैं प्रलय आती है और पाप कर्मो का अंत होता है। यह मान्यता गलत भी नहीं है ।
शिवरात्रि के दिन कुछ लोग उपवास भी रखते है, शिवजी को प्रसन्न करने के लिये शिवलिंग पर भेलपत्री, पुष्प ,भांग, धतूरा ,फल फूल इत्यादि से जलाभिषेक,दुग्धाभिषेक भी किया जाता है।
हिन्दू धर्म की बहुत अच्छी बात है , कि यहाँ समय -समय पर व्रत, नियम, त्यौहार आदि के प्रारूप में बहुत से अनुष्ठान किये जाते हैं । पर इन व्रत नियमों का वास्तविक स्वरूप अब हम भूलते चले जा रहे हैं,और भेड़ चाल की तरह अपनी -अपनी स्वार्थ सिद्धि हेतु परमात्मा को खुश करने के लिए बिना सोचे-समझे बस कर्म कर रहे हैं ,मान्यता है कि शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से शिवजी प्रसन्न होते है और हम नासमझी में न जाने कितने सैकड़ों लीटर दूध यूँ ही बहा देते हैं हम सोचते हैं कि भगवान खुश हो रहा है । वहीं मन्दिर के बहार खड़े किसी मजदूर के या गरीब भूखे बच्चे को दूध पिलाने में या उसे फल खिलाने में हम कहते हैं कि हमारे पास फालतू के पैसे नहीं है । अरे वही दूध ,फल और मन्दिर में चढ़ाने वाले पैसों को अगर हम निसहाय जरुरतमंद के सहायता में लगा दे तो, शायद हमारा भगवान बहुत खुश होगा ।क्योंकि हर आत्मा में परमात्मा है,हम सब उसी परमात्मा की किरणें हैं ।
ये मन्दिर, देवालय,हमारे ईष्ट भगवानों की प्रतिमाएं इस बात का प्रमाण हैं कि हमारे भागवान ऐसे दिव्य अलौकिक तेजोमय स्वरूप वाले थे । मैं परम्पराओं के ख़िलाफ़ बिलकुल नहीं हूँ पर इन परम्पराओं के पीछे छिपे रहस्यों को जानिये ।
चलिये इस शिवरात्रि भगवान शंकर के दर्शन करने हम पूर्ण श्रद्धा भाव से मन्दिर जायेंगे ,पूर्ण श्रद्धा से नमन करते हुए हम स्वयम को परमात्मा के द्वारा प्राप्त सेवा में लगायेंगे ।श्रद्धा के पुष्प चढ़ायेंगे, पूर्णरूपेण निष्ठा से स्वयं को उसकी आज्ञा में समर्पित कर शुभ कर्मों का नित प्रति दिन अभिषेक करेंगे । दान दक्षिणा का सेवा कार्यो में समर्पित करेंगे।
चलो इस शिवरात्रि प्रण लेते हैं, कि हम गरीब ,निसहाय बच्चों को भोजन करायेंगे दूध पिलायेंगे फल खिलायेंगे ,यकीन मानिये आपके भगवान भोले नाथ बहुत प्रसन्न होंगे ,और वहीं किसी बच्चों की पंक्ति में वह स्वयं किसी बच्चे के रूप में आपका दिया दूध ,फल इत्यादि दिल से स्वीकार करेंगे ।
और आपको निहाल करेंगे ।