शिवजी चले हैं ससुराल
देखो शिवजी चले हैं ससुराल,त्रिपुण्ड लगाकर अपने भाल।
नंदी,भृंगी और संग हैं व्याल,संग-संग चले हैं भूत- वैताल।
शिवगण भी उनके साथ चले हैं।
अनाथों के देखो वो नाथ चले हैं।
हाथी घोड़ा और व्याल चले हैं।
भभूत लगा अपने भाल चले हैं।
देखो गौरा हैं कितनी बेहाल,कौन जाने उनके दिल का हाल।
शिवदर्शन को गौरा हैं बेहाल,कौन जानेउनके दिल का हाल।
भुजंगो की माला वो धारण किए हैं।
हिमाचलसुता का वरण वो किए हैं।
जटा में है उनकी मंदाकिनी जो समाई।
अलौकिक छवि उनकी वरणी न जाई।।
देखो शिवजी चले हैं ससुराल,अर्धचंद्र सजाकर अपने भाल।
शिवगण बजाते चले करता़ल,पहने बाघम्बर ओढ़े मृगछाल।
एक हाथ त्रिशूल धारण किए हैं।
दूजे में डमरू सुशोभित किए हैं।
बाघम्बर छवि है अद्भुत निराली।
वो ही तो हैं इस दुनिया के माली।
देखो शिवजी चले हैं ससुराल, सुशोभित गले में मुण्डमाल।
अपने भक्तों की करते सुरक्षा,वो भक्तों का हैं रखते ख्याल।।
डी एन झा’दीपक’देवघर, झारखंड