Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2024 · 1 min read

शिवजी चले हैं ससुराल

देखो शिवजी चले हैं ससुराल,त्रिपुण्ड लगाकर अपने भाल।
नंदी,भृंगी और संग हैं व्याल,संग-संग चले हैं भूत- वैताल।

शिवगण भी उनके साथ चले हैं।
अनाथों के देखो वो नाथ चले हैं।
हाथी घोड़ा और व्याल चले हैं।
भभूत लगा अपने भाल चले हैं।

देखो गौरा हैं कितनी बेहाल,कौन जाने उनके दिल का हाल।
शिवदर्शन को गौरा हैं बेहाल,कौन जानेउनके दिल का हाल।

भुजंगो की माला वो धारण किए हैं।
हिमाचलसुता का वरण वो किए हैं।
जटा में है उनकी मंदाकिनी जो समाई।
अलौकिक छवि उनकी वरणी न जाई।।

देखो शिवजी चले हैं ससुराल,अर्धचंद्र सजाकर अपने भाल।
शिवगण बजाते चले करता़ल,पहने बाघम्बर ओढ़े मृगछाल।

एक हाथ त्रिशूल धारण किए हैं।
दूजे में डमरू सुशोभित किए हैं।
बाघम्बर छवि है अद्भुत निराली।
वो ही तो हैं इस दुनिया के माली।

देखो शिवजी चले हैं ससुराल, सुशोभित गले में मुण्डमाल।
अपने भक्तों की करते सुरक्षा,वो भक्तों का हैं रखते ख्याल।।

डी एन झा’दीपक’देवघर, झारखंड

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 46 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अजनबी !!!
अजनबी !!!
Shaily
दुनिया में कहीं से,बस इंसान लाना
दुनिया में कहीं से,बस इंसान लाना
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दीवार
दीवार
अखिलेश 'अखिल'
परिवर्तन
परिवर्तन
विनोद सिल्ला
#लघुकथा
#लघुकथा
*प्रणय प्रभात*
ग्वालियर की बात
ग्वालियर की बात
पूर्वार्थ
ज़हन खामोश होकर भी नदारत करता रहता है।
ज़हन खामोश होकर भी नदारत करता रहता है।
Phool gufran
फकीर
फकीर
Dr. Kishan tandon kranti
कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं,
कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं,
गुप्तरत्न
माँ।
माँ।
Dr Archana Gupta
बिन परखे जो बेटे को हीरा कह देती है
बिन परखे जो बेटे को हीरा कह देती है
Shweta Soni
फूल
फूल
Neeraj Agarwal
गुजर जाती है उम्र, उम्र रिश्ते बनाने में
गुजर जाती है उम्र, उम्र रिश्ते बनाने में
Ram Krishan Rastogi
नशे में फिजा इस कदर हो गई।
नशे में फिजा इस कदर हो गई।
लक्ष्मी सिंह
ऐसा क्यों होता है..?
ऐसा क्यों होता है..?
Dr Manju Saini
ज़ख़्म ही देकर जाते हो।
ज़ख़्म ही देकर जाते हो।
Taj Mohammad
भाषा और बोली में वहीं अंतर है जितना कि समन्दर और तालाब में ह
भाषा और बोली में वहीं अंतर है जितना कि समन्दर और तालाब में ह
Rj Anand Prajapati
रुख़्सत
रुख़्सत
Shyam Sundar Subramanian
पग मेरे नित चलते जाते।
पग मेरे नित चलते जाते।
Anil Mishra Prahari
खुशबू बनके हर दिशा बिखर जाना है
खुशबू बनके हर दिशा बिखर जाना है
VINOD CHAUHAN
"" *सुनीलानंद* ""
सुनीलानंद महंत
नहीं-नहीं प्रिये!
नहीं-नहीं प्रिये!
Pratibha Pandey
एक पीर उठी थी मन में, फिर भी मैं चीख ना पाया ।
एक पीर उठी थी मन में, फिर भी मैं चीख ना पाया ।
आचार्य वृन्दान्त
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*शिक्षा-क्षेत्र की अग्रणी व्यक्तित्व शोभा नंदा जी : शत शत नमन*
*शिक्षा-क्षेत्र की अग्रणी व्यक्तित्व शोभा नंदा जी : शत शत नमन*
Ravi Prakash
ख्वाबों में भी तेरा ख्याल मुझे सताता है
ख्वाबों में भी तेरा ख्याल मुझे सताता है
Bhupendra Rawat
लोकतंत्र के प्रहरी
लोकतंत्र के प्रहरी
Dr Mukesh 'Aseemit'
मन की परतों में छुपे ,
मन की परतों में छुपे ,
sushil sarna
इलेक्शन ड्यूटी का हौव्वा
इलेक्शन ड्यूटी का हौव्वा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
3262.*पूर्णिका*
3262.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...