****शिरोमणि****
****शिरोमणि****
जो टूट पड़ा था मुगलों पर
वह वीर शिरोमणि राणा था
जिसने रजपूती धरती को
अपने लहू से सींचा था
वह आन बान और शान के खातिर
वनों में जो भटक था
चित्कार बनी सिंह की ध्वनि
आवाज साफ का दम था
रणभेरी बजी फिर युद्ध की
वो सामर्थ वहीं राणा का था
राणा प्रताप से रजपूतों में
हर रूप में एक नई चिंगारी थी
कब तक सोएगी आत्मा
तब मरुधरा की शान थी
उसकी चिंगारी में धधके पुरुष
वह राणा प्रताप का पोरुष था
**** सद्कवि प्रेमदास वसु सुरेखा ****