शिरडी वाले सांई
शिरडी वाले सांई धरती के कण-कण में समाया,
श्रद्धा, सबुरी और विश्वास आकर तेरे दर है पाया।
सबका मालिक एक संदेशा सारे जग को सुनाया,
क्या राज़ा क्या फ़कीर तुमने सबको दिल से अपनाया।
दया भी तू दयालु भी तू, कृपा भी तू कृपालु भी तू।
रचना भी तू रचैया भी तू, सृष्टि भी तू खिवैया भी तू।
जोत भी तू जीवन भी तू, प्यास भी तू पानी भी तू,
दान भी तू दानी भी तू, धरती भी तू अंबर भी तू।
मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर या फिर गुरुद्वारा जाऊं,
आंखें बंद करुं और मन में हीं मुस्काता पाऊं।
कैसे कह दूं जग में कहां-कहां धाम है तेरा,
मेरे मन, मेरे दिल, मेरी आत्मा में है तेरा बसेरा।