शिनाख्त
तेरे माथे की सनक, शिनाख्त ना बन जाये तुम्हारी,
शिकायत तुम से नहीं, बिना बिंदिया के, जमाने का दस्तूर ऐसा है.
.
ये सिंदूरी चमक तेरे माथे की, रक्षक है है तेरी,
जिसकी हिफाज़त खुद,पहरेदार करता है.
तेरे माथे की सनक, शिनाख्त ना बन जाये तुम्हारी,
शिकायत तुम से नहीं, बिना बिंदिया के, जमाने का दस्तूर ऐसा है.
.
ये सिंदूरी चमक तेरे माथे की, रक्षक है है तेरी,
जिसकी हिफाज़त खुद,पहरेदार करता है.