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11 Aug 2019 · 1 min read

उफ़, यह प्यास!

पड़ोस में एक गरीब परिवार रहता था। उस घर में फ्रिज नहीं था। इस वजह से गर्मी मैं ठंडा पानी भी मयस्सर नहीं हो पाता था। कभी किसी की मेहरबानी हो जाए तो अलग, वरना ठंडा पानी पीने के लिए बच्चे तरसते थे।

जून का महीना था, बेतहाशा गर्मी थी। दिन के कोई 12 बजे की बात होगी, दरवाजे पर दस्तक हुई। एक बच्ची हाथ में जग लिए खड़ी थी। उसने ठंडा पानी मांगा। सीमा को आराम में खलल नागवार गुजरा। उसने नाराज़ होकर पानी नहीं होने का बहाना करते हुए दरवाजा बंद कर लिया।

शिद्दत की गर्मी पड़ रही थी, प्यास के मारे सीमा का बुरा हाल था। ऊपर से बिजली भी अपना रंग दिखा रही थी। फ्रिज में रखा ठंडा पानी खत्म होता जा रहा था लेकिन प्यास थी कि बुझने का नाम ही नहीं ले रही थी। कई घंटे गुजरने के बाद सीमा को पड़ोस की वह बच्ची याद आने लगी जो ठंडा पानी मांगने आई थी। अब सीमा को अपनी गलती का एहसास होने लगा था। उसने तुरंत दो बोतल पानी पड़ोस के घर में भिजवा दिया। अब सीमा को कुछ दिली सुकून मिला और प्यास भी कम होती महसूस हो रही थी।

© अरशद रसूल

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 473 Views
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