Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Oct 2016 · 1 min read

शिखरिनी छंद( हाइकू ) जितेंद्रकमलआनंद: गुरु सकाश( पोस्ट७६)

शिखरिनी छंद:
——————
गुरु सकाश ( ध्यान )
करिए प्रात: शाम ।
पायें प्रकाश ।। १ ।।

अक्षराक्षर
शिखरिनी छंद है ।
सत्राहाक्षर ।।२ ।।

नहीं अलभ्य
परम पुरुष है ।
शुभ सुलभ्य ।।३ ।।

—– जितेन्द्रकमल आनंद

Language: Hindi
362 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
भूमि दिवस
भूमि दिवस
SATPAL CHAUHAN
जमाने से विद लेकर....
जमाने से विद लेकर....
Neeraj Mishra " नीर "
*जनवरी में साल आया है (मुक्तक)*
*जनवरी में साल आया है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
कृति : माँ तेरी बातें सुन....!
कृति : माँ तेरी बातें सुन....!
VEDANTA PATEL
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
शायरी 1
शायरी 1
SURYA PRAKASH SHARMA
4535.*पूर्णिका*
4535.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आकर्षण गति पकड़ता है और क्षण भर ठहरता है
आकर्षण गति पकड़ता है और क्षण भर ठहरता है
शेखर सिंह
वायु प्रदूषण रहित बनाओ
वायु प्रदूषण रहित बनाओ
Buddha Prakash
राम राम
राम राम
Sonit Parjapati
*दर्शन शुल्क*
*दर्शन शुल्क*
Dhirendra Singh
दिल-ए-मज़बूर ।
दिल-ए-मज़बूर ।
Yash Tanha Shayar Hu
ना मालूम क्यों अब भी हमको
ना मालूम क्यों अब भी हमको
gurudeenverma198
जिस्म से जान जैसे जुदा हो रही है...
जिस्म से जान जैसे जुदा हो रही है...
Sunil Suman
पिता
पिता
sushil sarna
*** मां की यादें ***
*** मां की यादें ***
Chunnu Lal Gupta
मैं तुम्हें यूँ ही
मैं तुम्हें यूँ ही
हिमांशु Kulshrestha
धर्म आज भी है लोगों के हृदय में
धर्म आज भी है लोगों के हृदय में
Sonam Puneet Dubey
"एक ही जीवन में
पूर्वार्थ
बुंदेली दोहा-गर्राट
बुंदेली दोहा-गर्राट
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
संवाद और समय रिश्ते को जिंदा रखते हैं ।
संवाद और समय रिश्ते को जिंदा रखते हैं ।
Dr. Sunita Singh
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
" नाम "
Dr. Kishan tandon kranti
खूब ठहाके लगा के बन्दे !
खूब ठहाके लगा के बन्दे !
Akash Yadav
नुकसान हो या मुनाफा हो
नुकसान हो या मुनाफा हो
Manoj Mahato
फुर्सत के सिवा कुछ नहीं था नौकरी में उस। रुसवाईयां चारों तरफ
फुर्सत के सिवा कुछ नहीं था नौकरी में उस। रुसवाईयां चारों तरफ
Sanjay ' शून्य'
“ प्रजातन्त्र का सम्मान “
“ प्रजातन्त्र का सम्मान “
DrLakshman Jha Parimal
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
---- विश्वगुरु ----
---- विश्वगुरु ----
सूरज राम आदित्य (Suraj Ram Aditya)
#आभार- 6 लाख व्यूज़ के लिए।
#आभार- 6 लाख व्यूज़ के लिए।
*प्रणय*
Loading...