शिक्षा माँगें सुरक्षा
शिक्षा माँगें सुरक्षा
ऐसी शिक्षा, ना दीजिए
जो हर ले, तन से साँस
शिष्य बचे ना, गुरु बचे
रहे ना, कोई आस ।
रहे ना, कोई आस
घड़ी यह, कैसी आई
होड़ मची, नंबर की
मायूसी घर, में छाई ।।
बच्चों से होता, खिलवाड़
आज, समझ में आया
धुआँ नभ में, छा गया
दुख का, बादल छाया।
दुख का, बादल छाया
गूँजे उनकी, चीत्कार
रक्षण करने, देर से आए
करते रहे वो, पुकार ।।
अनदेखी की, हो नहीं सकती
आज कोई, भरपाई
अब भी खतरे में, जान पड़ी है
सबको समझ, ना आई।
सबको समझ, ना आई
अपनों का, क्या है खोना
अश्रु से भरे, हैं नयन
अब रोना, ही रोना ।।
अनुमति बिन, चलता कैसे
शिक्षा का, बाजार
ना नियम, ना हैं कानून
खूब करें, व्यापार।
खूब करें, व्यापार
जान की, कीमत लगाई
दहक उठा, जग सारा
मासूम ने, जान गवाई ।।
कल, परसों, आगे देखेंगे
देखते रह, गए सारे
फाइलें दबकर, रह गई
कोई ना भरे, हुँकारे।
कोई ना भरे, हुँकारे
माया का जाल, हैं फैला
लोकतंत्र में, अनदेखी ने
जग ये, कर दिया मैंला ।।
मात-पिता को, इस घटना से
सीख, आज यह लेनी
नंबर भले ही, कम आ जाए
कुर्बानी, नहीं देनी ।
कुर्बानी, नहीं देनी
दोषी को सजा, दिलाना
भटक गए जो, राह से
उनको पथ पर, लाना ।।