Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Oct 2021 · 2 min read

शिक्षा नीति एवं विद्यार्थी व शिक्षक

शिक्षा नीति एवं विद्यार्थी व शिक्षक

भारत वर्ष की शिक्षा व्यवस्था कभी विवादों से मुक्त नहीं हो सकी ।कभी पाठ्यक्रम को लेकर विवाद ,कभी कार्यप्रणाली को लेकर विवाद सर्व विदित है ।शिक्षा विद् एक सर्वमान्य पाठ्यक्रम नहीं बना पाए, और हमेशा की तरह आलोचना का शिकार होते रहे। कभी उन पर वामपंथी विचारधारा को प्रश्रय देने का आरोप लगा ,कभी इतिहास को तोड़ने मरोड़नने का आरोप लगा। नई शिक्षा नीति ने कुछ उम्मीदें अवश्य जगायी हैं।

जिस देश में झूठ बोलना ,छद्म आचरण और झूठ संरक्षित किया जाता हो। उस देश में गौरवमयी इतिहास, वैज्ञानिक संस्कारों और संस्कृतियों का संरक्षण बहुत कठिन हो जाता है।

जिस देश में शिक्षित समाज में मातृभाषा में अभिव्यक्ति को उपेक्षित, तिरस्कृत किया जाता है। उस देश का भविष्य कैसे गौरवशाली हो सकता है ?

शिक्षकों को केवल जीवकोपार्जन का साधन चाहिए। योग्य, विवेकी शिक्षक अधिकतर कुंठा ग्रस्त हो जाते हैं । यह हमारे देश की कैसी विडंबना है? योग्य शिक्षक निरंतर उपेक्षा ,तिरस्कार की वजह से अपनी आजीविका के प्रति उदासीन हो जाते हैं ,और अपनी ऊर्जा केवल अपना कार्यकाल पूर्ण करने में लगा देते। अतः शिक्षकों का सम्मान आवश्यक है।

जिस देश में सत्यनिष्ठ आचरण करने वाले योग्य शिक्षकों का तिरस्कार होता है ,वह देश कभी स्वतंत्र नहीं हो सकता । देश मानसिक गुलामी की जंजीरों में जकड़ कर केवल मानसिक गुलामी का पोषण करता है ।

जिस समाज में धन को महत्व दिया जाता हो, वहां व्यक्तित्व गौण हो जाता है ।व्यक्ति की योग्यता ,उपयोगिता का कोई महत्व नहीं रह जाता ।जो व्यक्तित्व शक्तिशाली, धनवान ,विषैला होता है ।वे उस व्यक्ति के उपद्रव के आगे सत्य निष्ठा से कार्य करते है ।उस उपद्रवी के सम्मुख निजी स्वार्थ, लोभ -लालच दूर तक नहीं पहुंच सकता।

भ्रष्ट तंत्र एक सोपान है, जिसके ऊपर चढ़ते चढ़ते प्रत्येक स्थान पर भ्रष्टाचार रूपी सुरसा मुंह बाए खड़ी है ,और उसके दुर्व्यवहार से आपको हर प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है ।

अतः शिक्षा का आधार अपने मूल संस्कृति और गौरवशाली मूल इतिहास से जुड़ा होना चाहिए ।हम कितने भी छद्म धर्म निरपेक्ष शिक्षा का राग अलाप लें, या संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुहायी देकर असत्य का पोषण, वाचन करते रहें ,किंतु इससे आप की शिक्षा पद्धति और संस्कार शुद्ध नहीं हो जाते।

मूल रूप से शिक्षा पद्धति और बचपन के संस्कार , जो पल्लवित -पुष्पित होकर वयस्क का रूप ले चुके हैं ।उसी का परिणाम असत्य आचरण और भ्रष्टाचार है।

आज समय आ गया है ,कि हम अतीत की त्रुटियों को भूल कर अपनी शिक्षा पद्धति को संस्कृति ,सदाचरण सत्य निष्ठा से निर्मित करें ।और देश की गौरवशाली इतिहास और शिक्षा के उच्च स्तर को पुनर्जीवित करें । समर्थ- सक्षम विद्यार्थियों के जीवन में नए उत्साह उमंग और उज्जवल भविष्य का संचार हो सके।हमारे देश का विकास, और पोषण सुसमय हो सके।

डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव प्रेम
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक

संयुक्त जिला चिकित्सालय बलरामपुर
ग्राम व पोस्ट-बनकटा, उतरौला रोड
निकट आर.टी.ओ. आफिस।
जिला-बलरामपुर उ प्र.
271201पिन
मोब .9450022526

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Comments · 402 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
अलग-थलग रहना तो उल्लुओं व चमगादड़ों तक को पसंद नहीं। ये राजरो
अलग-थलग रहना तो उल्लुओं व चमगादड़ों तक को पसंद नहीं। ये राजरो
*प्रणय*
कैसा जुल्म यह नारी पर
कैसा जुल्म यह नारी पर
Dr. Kishan tandon kranti
हर लम्हा
हर लम्हा
surenderpal vaidya
हर एक अनुभव की तर्ज पर कोई उतरे तो....
हर एक अनुभव की तर्ज पर कोई उतरे तो....
कवि दीपक बवेजा
विजय दशमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
विजय दशमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
Sonam Puneet Dubey
*निर्बल-असहाय अगर तुम हो, ईश्वर का प्रतिदिन ध्यान धरो (राधेश
*निर्बल-असहाय अगर तुम हो, ईश्वर का प्रतिदिन ध्यान धरो (राधेश
Ravi Prakash
उम्र पैंतालीस
उम्र पैंतालीस
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
भीम आयेंगे आयेंगे भीम आयेंगे
भीम आयेंगे आयेंगे भीम आयेंगे
gurudeenverma198
*जुदाई न मिले किसी को*
*जुदाई न मिले किसी को*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
खो कर खुद को,
खो कर खुद को,
Pramila sultan
My Precious Gems
My Precious Gems
Natasha Stephen
Baat faqat itni si hai ki...
Baat faqat itni si hai ki...
HEBA
लोग कहते ही दो दिन की है ,
लोग कहते ही दो दिन की है ,
Sumer sinh
खोते जा रहे हैं ।
खोते जा रहे हैं ।
Dr.sima
क्या से क्या हो गया देखते देखते।
क्या से क्या हो गया देखते देखते।
सत्य कुमार प्रेमी
दोहे एकादश...
दोहे एकादश...
डॉ.सीमा अग्रवाल
बहुत जरूरी है तो मुझे खुद को ढूंढना
बहुत जरूरी है तो मुझे खुद को ढूंढना
Ranjeet kumar patre
बचपन की गलियों में
बचपन की गलियों में
Chitra Bisht
चुनौती
चुनौती
Ragini Kumari
रमेशराज के समसामयिक गीत
रमेशराज के समसामयिक गीत
कवि रमेशराज
Lines of day
Lines of day
Sampada
मैं अपने दिल की रानी हूँ
मैं अपने दिल की रानी हूँ
Dr Archana Gupta
विनम्रता ही व्यक्तित्व में निखार लाता है,
विनम्रता ही व्यक्तित्व में निखार लाता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मुझसे गुस्सा होकर
मुझसे गुस्सा होकर
Mr.Aksharjeet
रिश्ते वक्त से पनपते है और संवाद से पकते है पर आज कल ना रिश्
रिश्ते वक्त से पनपते है और संवाद से पकते है पर आज कल ना रिश्
पूर्वार्थ
तुम्हें पता है तुझमें मुझमें क्या फर्क है।
तुम्हें पता है तुझमें मुझमें क्या फर्क है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
प्रेम की नाव
प्रेम की नाव
Dr.Priya Soni Khare
**** महफ़िल  तेरे नाम की *****
**** महफ़िल तेरे नाम की *****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
उनके आने से ही बहार आए
उनके आने से ही बहार आए
Dr fauzia Naseem shad
बात जुबां से अब कौन निकाले
बात जुबां से अब कौन निकाले
Sandeep Pande
Loading...