शिक्षा की लाचारी
शिक्षा तेरी लाचारी देख,
उजड़ रही फुलवारी देख ।
कल जो शिक्षक गुरुजी थे,
आज बना कर्मचारी देख।।
ज्ञान ज्योति जलाने वाला,
सबको राह दिखाने वाला।
सबके आज निशाने पर है,
बुराइयों से लड़ जाने वाला।
मूल काम तो पीछे छूटा,
है किसकी जिम्मेदारी देख।।
खाता खोलना आधार बनाना,
घूम-घूम कर वोट बनाना।
खाना देना दूध पिलाना,
किताबें लाना वर्दी लाना।
अगर पढ़ाना छूट गया तो,
भड़क उठे अधिकारी देख।।
रोज नए फरमान है जारी,
तंग करते सब बारी-बारी।
किसी काम की सुध नहीं,
लीपा पोती सब सरकारी।
गली से कागज चुग लाना है,
आदेश हुआ क्या जारी देख।। ‘सागर’