*** शिक्षक***
*** शिक्षक***
शिक्षक वह बागवान है , वह नन्हें पौधों को बढ़ाता है
संस्कार ज्ञान का खाद देकर बग़िया में महक बिखेरता है
वासल्य से अवबोधन देकर देकर उसमें प्रतिभा की ज्योति जगाता है
अज्ञानता मिटने के लिए विद्या का प्रकाश फैलता है
ऋषितुल्य वह शिल्पकार महामानव निर्माता है
श्रेष्ट सभ्यता , नैतिक शिक्षा का प्रदाता है
लेकिन –
आज के शिक्षक की अच्छी सोच लुप्त हो गयी है
निष्क्रिय हो गया है , अपनी अस्मिता भूल गया है
जत्थो में निरंतर अनुशिक्षण दिन – रात फलफूल रहा है
अभिभावक के मेहनत की कमाई पर ज्यादा बोझ लग रहा है
अभी –
ना बनाओ रटत तोता
बना दो संस्कारी कोशल्याकार , वैज्ञानिक
निर्माण करो अच्छे विचारवान
जो सबको साथ लेकर चले
जो सबको मानव समझे
ना भेद करे जाति – धर्म में
जो अपना एंव राष्ट्र का विकास करे
@ कॉपीराइट
राजू गजभिये , बदनावर