शिक्षक
आज शिक्षक दिवस के अवसर पर सभी गुरूजनों को समर्पित चंद पन्क्तियाँ।
आशा है पसंद करेंगें।
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### शिक्षक ###
ना जाने कैसे कैसे किरदारों को तुमने अपने दम पर जन्म दिया,
धूप में तप कर कैसे कैसे शाहकारों को तुमने जन्म दिया,
ए शिक्षक तुम भी ना जाने किस मिट्टी से गढ़े गए हो,
जीकर दुख और अभावों में नए समाज को तुमने जन्म दिया।
कच्ची मिट्टी के ढेले ही तो थे,क्या दुनिया में हमारी हस्ती थी,
निकल पाठशाला से घर की अभी विद्यालय में नई नई भर्ती थी,
ए गुरुवर तुमने ही तो हस्ती को मेरी फर्श से अर्श पर पहुंचाया है,
कश्ती में मेरी दम नहीं था इतना मौजों पर कब वो टिकती थी।
संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश