गुरु
गूँज उठे धरती गगन,चहुँ ओर यही नाद।
सर्व सुलभ संसार में,दुर्लभ गुरू प्रसाद।।
गुरुओं ने जिसको दिया,उत्तम आशीर्वाद।
युगों युगों तक सर्वदा,किया गया वो याद।।
यही विश्वविख्यात है ,गुरू शिष्य संवाद।
युद्धभूमि में मिट गया ,अर्जुन का अवसाद।।
हे मानव भ्रमजाल में,जनम न कर बर्बाद।
जनम मरण के बंध से,गुरु करते आजाद।।
गुरुवर की जिस पर कृपा,रहे सदा आबाद।
ज्योति कबहुं मत छोड़िए,जीवन में गुरु पाद।।
✍श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव