शिक्षकों को प्रणाम*
आज मुझे मेरे शिखर
तक ले जाने वाली
मां को शत-शत प्रणाम
मुझे सबसे पहले
मुस्कुराना सिखाया
प्रथम अक्षर ज्ञान भी
मां ने ने कराया
दूसरा शिक्षक
पिता के रूप में पाया
जिसने पग पग चलाया
मुझे आगे बढाया
उन्हें शत-शत प्रणाम
तीसरा गुरु
शिक्षक के रूप में आया
जिसने मेरे
अक्षर ज्ञान को आगे बढ़ाया
जीवन विज्ञान से अवगत कराया
उसे भी शत-शत प्रणाम
चौथा गुरु
मैंने अपने सास-ससुर को बनाया
जिन्होंने घर चलाना सिखाया
मुझे एक कुशल प्रबंधक बनाया
उन्हें भी शत-शत प्रणाम
पांचवा गुरु
मेरी लेखनी को प्रणाम
जिसने मुझे लेखक बनाया
अंधेरे उजाले का भेद कराया
छठवां गुरु मैंने दोस्तों को बनाया
जो मुझे रोज की दिनचर्या में
कुछ नया सिखाती
जब मैं दुखी होती
तो मेरा हौसला बढ़ाती
कठिन से कठिन डगर को भी
आसान बनाती
सातवां गुरु मैंने गूगल को बनाया
किसी के ना होने पर
सब प्रश्नों का हल इसी ने कराया
आज इन शिक्षकों को कैसे भूल जाऊं
जिन्होंने मुझे इस योग्य बनाया
सभी शिक्षकों को शत-शत नमन
मौलिक एवं स्वरचित
मधु शाह( ५-९-२१)