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11 Jan 2019 · 1 min read

शिकायत

ऐसा नहीं कि दिल मे मुहब्बत नहीं रही।।
लेकिन मुझमें वो पहली सी शिद्दत नहीं रही।।
आती हैं तेरी याद तो अब भी कभी कभी।।
दिल मे मगर वो असल की चाहत नहीं रही।।
तन्हाई के साथ गुजारी है इक उमर हमने।।
शायद तभी से भीड़ की हमे आदत नहीं रही।।
चाहा जिसे भी दिल से वो इक जख्म दे गया।।
अपना किसी को कहने की हमें आदत नहीं रही।।
चैन आ गया कि मेरा दिल ही बुझ गया।।
आवारगी की अब तो तबीयत नहीं रही।।
अपना लिया है मैंने सबको इस तरह।।
दिल को किसी से कोई शिकायत नहीं रही।।
छोड़ा उसने साथ एक ऐसे मुकाम पर।।
शिकवे गिले की कोई शिकायत नहीं रही।।

कृति भाटिया।।

Language: Hindi
1 Like · 425 Views
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