शिकवे गिले
सारे शिकवे गिले भूला के कहो,
जो भी कहना है मुस्कुरा के कहो.
ओ मेरे जाने जहां , जाने ज़िगर,
तू ही तू है जहां तलक है नजर
तेरे यादों से शुरू होती शुबह , तेरे ख्वाबों में ढले शामों सहर,
दिल ने चाहा तुझे ये जुर्म है क्या, अब तो ये फैसला सूना के चलो !
सारे शिकवे गिले भूला के कहो
तेरे नयनों में मेरे सपने हैं, जो भी मेरा भी है तेरे अपने हैं
मेरे हर सांस पे है नाम तेरा , तेरे होठों पे गीत अपने हैं,
इस कदर रूढ़ कर क्यूँ रहती हो , हाले दिल की खबर बताते चलो !!
सारे शिकवे गिले भूला के कहो–
तेरे नयनो से जब भी अश्क बहे , मेरे दिल की शहर में बाढ़ आये,
जब भी मुस्कान तेरे होठ पे हो, बादिये इश्क में बहार आये ,
मुझसे रुठा न करो जाने वफ़ा, मेरे दिल की गली में आके रहो !!!
सारे शिकवे गिले भूला के कहो
तेरे अल्फाज़ में कोयल की चहक , तेरे साँसों में महक फूलों की
तेरी जुल्फे हैं घटा सावन की तेरे नयनों में झलक झीलों की,
फिर भी जाना ही है तो जाओ मगर, दर्दे दिल की दवा बताके चलो !!!!
सारे शिकवे गिले भूला के कहो