शाह रोशन जी पहुंचे सचखंड दे द्वार
Q*शाह रोशन जी पहुंचे सचखंड द्वार *
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शाह रोशन जी हो गए परलोक सिधार
शाह रोशन जी पहुंच गए सचखंड द्वार
रोते बिलखते रहे सत्संगी सभी सारे
चहुंओर मच गई जन मन चीख पुकार
नूर ए नजर मुखड़े पर ऐसी की ऐसी
संगत करती रही साँई अंतिम दीदार
आँखमिचौली का खेला खेल ये कैसा
पीठ पीछे क्यों तज दिए प्राण निसार
परमसंतों से न्यारे, हमारे दुलारे प्यारे
आप जैसा आएगा न जग में अवतार
डेरा राय सिंह नगर लगे खाली खाली
साँईं जी आप किस धाम गए हैं पधार
काया त्याग पग सतलोक को विराजे
कलयुग में करके जनकल्याण सुधार
नैनों में पानी दिल हुआ भारी भारी
नम आँखें करती रहेंगी सदा सत्कार
मनसीरत भी है अंतिम दर्शनाभिलाषी
धन सतगुरु को विदा करे रुदित संसार
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)