शाश्वत सत्य
सब जायेंगे
सबको है जाना
थोड़ा वक्त
जिसको मिला
उसको जीना है ,
अपनों के जाने का दर्द
इतना दर्द कि
जो सहा ना जाये
लेकिन सह कर
यहीं रहना है ,
चाह कर भी
उसके साथ
जा नही सकते
यहीं रह कर
अलविदा कहना है ,
जो जहां गया
वो वहां खुश रहे
उसकी खुशी के लिए
अपना ग़म
सीने में दबाना है ,
जाने वाले को
कौन रोक पाया
ये ऐसा सत्य है
जिसे चाह कर भी
कोई स्वीकार नही पाया ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 23/10/2021 )