*शाश्वत जीवन-सत्य समझ में, बड़ी देर से आया (हिंदी गजल)*
शाश्वत जीवन-सत्य समझ में, बड़ी देर से आया (हिंदी गजल)
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1)
शाश्वत जीवन-सत्य समझ में, बड़ी देर में आया
मरणशील है देह एक दिन, रह जाती है माया
2)
नाशवान है यद्यपि तन पर, यह बेकार न समझो
मिलवाती है परम तत्त्व से, दो कौड़ी की काया
3)
बड़ा सरल है प्रभु से मिलना, सरल हृदय बन जाओ
जो भोला-भाला है उसका, प्रभु ने मोल लगाया
4)
पुस्तक में सब लिखा हुआ है, लेकिन व्यर्थ पढ़ाई
मिलते हैं प्रभु बस उसको ही, जिसने मन से गाया
5)
छिपा हुआ अनमोल खजाना, भीतर सुप्त पड़ा है
जिसने सॉंसों का क्रम साधा, उसने ही यह पाया
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615 451