शारदे वन्दना
शारदे वन्दना
कुकुभ छन्द
हंसवाहिनी मातु शारदे, ध्यान आपका धरता हूँ।
श्रद्धा सुमन साथ में लेकर, तुम्हें समर्पित करता हूँ।।
धवल वसन है मातु आपका, कितनी सुंदर काया है।
स्वर्ण मुकुट माथे पर सोहे, अद्भुत तेरी माया है।।
पुष्प वेद हाँथों में लेकर, बैठी माँ वीणाधारी।
तपस्वनी का वेश शारदे, लगती हो कितनी प्यारी।।
सदा पुण्य का काम करूँ मैं, पाप दोष से डरता हूँ।
श्रद्धा सुमन साथ में लेकर, तुम्हें समर्पित करता हूँ।।
मैं मतिमंद बुद्धि बालक हूँ, तुम हो ज्ञानदायिनी माँ।
ह्रदय ज्ञान की ज्योति जला दो, मेरी हंसवाहिनी माँ।।
कृपा तुम्हारी जिसपर होती, वो ज्ञानी हो जाता है।
हम पर भी माँ कृपा करो कुछ, सेवक शीश झुकाता है।।
जीवन की इस कठिन डगर में, गिरता और सँवरता हूँ।
श्रद्धा सुमन साथ में लेकर, तुम्हें समर्पित करता हूँ।।
संपूर्ण जगत की आप हमेशा, संचालन करने वाली।
सदा सुगन्धित पुष्प खिलें माँ, हरी रहे तरु की डाली।।
सदाचार व प्रेमभाव हो, रहें सदा सुख में प्राणी।
कटुक वचन ना कहें किसी को, सदा रहे मुख मृदु वाणी।
अभिनव सृजन करें अतिसुन्दर, वन्दन तेरा पढ़ता हूँ।
श्रद्धा सुमन साथ में लेकर, तुम्हें समर्पित करता हूँ।।
अभिनव मिश्र अदम्य