शारदा वंदन
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शुद्धगीता छंद
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शारदे माता तुम्हारे , आ गये हैं लाल द्वार ।
दो हमें आशीष अपनी,माँगते माता दुलार ।।
छंद का माँ ज्ञान दे दो, गीत को दे दो प्रवाह ।
साध लो स्वर माँ हमारे, ओ स्वरों की बादशाह ।।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
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