शारदा वंदन
मुक्तक
नमन मैं करूँ अंबिका आपको आप हो ज्ञान भंडार माँ ज्ञान दात्री।
उपेक्षित जगत में रहे हैं सदा जो लुटाती रहो प्यार माँ ज्ञान दात्री।
खुले द्वार हैं आपके तो सदा भक्त जो माँगते वो मिला है सदा से।
लिये फूल माला खडे द्वार पर हम करो भेंट स्वीकार माँ ज्ञान दात्री।
अंकित शर्मा’ इषुप्रिय’
रामपुर कलाँ,सबलगढ(म.प्र.)