शायरी
इश्क का अरमान लिखने बैठे
के कागजों के ठेर लग गये,
जज्बात मेरे खत्म ही न हुये,
और पैगाम उन्हे बहुत मिल गये।
— सोनु सुगंध– २८/१२/२०१८
इश्क का अरमान लिखने बैठे
के कागजों के ठेर लग गये,
जज्बात मेरे खत्म ही न हुये,
और पैगाम उन्हे बहुत मिल गये।
— सोनु सुगंध– २८/१२/२०१८