शायरी
सोचता हू
मुझे ही क्यों जरूरत जिन्दगी के हर इम्तिहान कि
आखिर मैं भी तो एक इंसान हूँ।
हूनर नही मुझ मे इतना के तेरा लिखा पलट सकु,
हाँ कोशिश जरूर करता हू तुझे सुलझाने की,
लेकिन मुझ मे भी एक दिल ,
जो तेरे आगे हार जाता है,जज्बातों के साये मे।
—— सोनु सुगंध– ११/०८/२०१८