शायरी
मिजाज ऐ इशक ही बदलने लग जाये
तो इश्क इबादत न होती,
सच्चे आशीको को सहादत न होती।
यूहीं नहीं हीर रांझा के नाम हूए,
लैला मजनु कत्लेआम हूए ।
सोनु !!!! २६/११/२०१८
मिजाज ऐ इशक ही बदलने लग जाये
तो इश्क इबादत न होती,
सच्चे आशीको को सहादत न होती।
यूहीं नहीं हीर रांझा के नाम हूए,
लैला मजनु कत्लेआम हूए ।
सोनु !!!! २६/११/२०१८