शायरी
वो ख्वाबों की दुनिया,वो ख्यालो की दुनिया।
कैसे दिखवाऊँ तुझे दिल के जज्बातों की दुनिया।
तुमने कहा था साथ दूँगी तेरा तमाम उम्र “प्रीतम”,
कहाँ खो गई अब तुम्हारे वो कसमों-वादों की दुनिया।
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सभ्य बनो,शिक्षित बनो यही है नाजों की दुनिया।
ज्ञान के फूलों से महकती है ये समाजों की दुनिया।
प्रीतम तेरी प्रीत का कोना समन्दर से भी गहरा हो।
डूब जाए जिसमें फरेबियों के अन्दाजों की दुनिया।
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हमने चाहा तुम्हे सदा जिन्दगी की तरह।
सराहा दिल से सदा तुम्हे गुलाबों की तरह।
पर तुमने दिल तोड दिया मेरा “प्रीतम”
आँखों में बसकर बेवफा ख्वाबों की तरह।
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मेरी आँखों में तेरी तस्वीर सजी है ऐसे।
फूलों में बसी हो खुशबू यार मेरे जैसे।
मेरे दिल को प्यार का उपहार दो जरा,
संवर जाए जिन्दगी ख्वाब देखे मैंने जैसे।
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मेरे जीवन में आ जाओ सावन की तरह।
बरसाओ प्यार की बूँदें तुम घन की तरह।
मैं उन्माद में फूला न समाऊँ “प्रीतम”,
महक जाऊँ जीवन में मधुबन की तरह।
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